नवरात्रि दुर्गा पूजा क्यों मनाते है। Mythology Story in Hindi
यह Mythology Story in Hindi के साथ Moral Stories in Hindi भी है। इस Mythology Story में आप जानेंगे की भगवान से वरदान प्राप्त कर स्वम को भगवान मानकर उन उन्ही को मारना चाहता है। तो माता कैसे उस महिषासुर का वध करती है और क्या राज है। नवरात्रो का जानते है इस Hindi Kahani में।
तो शुरू करते यह है। Mythology Story in Hindi
महिषासुर नाम का एक अत्यंत शक्तिशाली असुर था जिसका शरीर आधा दैत्य और आधा भेसा का था। उसने ब्रह्मदेव की कठिन तपस्या करि और उसने ब्रह्मदेव को प्रसन्न कर लिया। फिर ब्रह्मदेव प्रकट हुए और बोले महिषासुर तुमने अपने कठिन तपस्या से मुझे प्रश्न किया वह बोले तुम्हें क्या चाहिए।
महिषासुर ने कहा भगवान आप मुझे अजर अमर होने का वरदान प्रदान करें ब्रह्मदेव ने कहा जो दुनिया में आता है उसको जाना ही पड़ता है यह सृष्टि का नियम है इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता तुम कुछ और वरदान मांग लो महिषासुर ने कुछ सोचकर कहा भगवान आप मुझे यह वरदान प्रदान करें कि मैं
किसी देवता मनुष्य के हाथों ना मारा जाऊं और मैं अति शक्तिशाली बनु ताकि मुझे कोई पराजित ना कर सके। ब्रह्मा जी ने तथास्तु कहकर अंतर्ध्यान हो गए वरदान पाकर महिषासुर अत्यंत शक्तिशाली हो गया अपने बल पर वह मनुष्य और देवताओं को तरह-तरह की यातनाएं देने लगा उसने देवताओं को परास्त
कर स्वर्ग लोक पर भी अपना अधिकार जमा लिया सारे देवगढ़ महिषासुर के आतंक से परेशान होकर त्रिदेव के पास पहुंचे उन्होंने ब्रह्मा विष्णु महेश से विनती की कि महिषासुर के आतंक से उनकी रक्षा करें परंतु महिषासुर को तो वरदान प्राप्त है कि वह किसी मनुष्य पशु देवताओं के हाथों नहीं मारा जा सकता
इन दोनों ने त्रिदेव ने पहले महिषासुर के आतंक से बचने के लिए आतंक को खत्म करने के लिए एक देवी की रचना की सभी देवी देवता ने सभी देवों ने माता को अपने अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए अस्त्र शस्त्र धारण किए बड़ी बड़ी आंखों वाली सिंह पर सवार देवी माता दुर्गा का रूप था जब देवी दुर्गा प्रकट हुई माता के
अद्भुत सौंदर्य पर महिषासुर मोहित हो गया माता से विवाह करने की बात कही माता देवी दुर्गा ने महिषासुर से कहा ठीक है मैं तुमसे विवाह अवश्य करूंगी परंतु मेरी शर्त माननी पड़ेगी तुम्हें मुझे से युद्ध में करना होगा यदि तुमने मुझे युद्ध में परास्त कर दिया तो मेरा विवाह तुमसे निश्चित ही होगा
माता दुर्गा की लीला से महिषासुर अवगत नहीं था। उसने माता दुर्गा से युद्ध आरंभ कर दिया 9 दिनों तक देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच घमासान युद्ध चलता रहा।
किंतु महिषासुर की गर्दन काटते ही उसकी एक भी बूंद जमीन पर गिरती थी तो हर बूंद से एक नया महिषासुर जीवित हो जाता था और माता रानी उसकी गर्दन काटती रही लेकिन हर बूंद से एक नया नया महिषासुर पैदा होता गया तो माता रानी ने उसका रक्त अपने खप्पर में लिया तब उसकी गर्दन काटी
जिससे कि उसकी रक्त की बून्द जमीन पर नहीं गिरे और नया महिषासुर ना पैदा हो पाए और अंततः माता ने महिषासुर का वध कर तीनों लोगों को उसके आतंक से बचाया जब से मां दुर्गा की नवरात्रि की पूजा की जाती है। यह त्यौहार कलश स्थापना से आरंभ होता है
और नवमी तक चलता है दसवीं को दशहरा मनाया जाता है दसवे दिन मां देवी दुर्गा से शक्ति प्राप्त कर श्री राम ने रावण को मार गिराया था। वह संसार को उसके कुकर्म से मुक्ति दिलाई थी नवरात्र में 1 से लेकर नवमी तक देवी की नौ नौ रूपों की बड़ी श्रद्धा से पूजा की जाती है।
इस समय माता दुर्गा धरती पर अवतरित होती हैं जो भी भक्त श्रद्धा पूर्वक विश्वास के साथ माता की भक्ति करता है देवी उन्हें इच्छा अनुसार वरदान देती हैं इन दिनों को दुर्गा पूजा और नवरात्रि का त्यौहार कहते हैं।
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