महादेव और पार्वती विवाह
इस Mythology Story in Hindi में भगवान शिव और पार्वती जी के विवाह कैसे हुआ और उनका विवाह भी प्रेम विवाह था तो उनके विवाह में भी काफी अर्चने आई थी। किन्तु सच्चे प्रेम को कोई जुदा नहीं कर पाता जो की आप इस पहली प्रेम कहानी में पढ़ सकते है। इसी के साथ यह Moral Story in Hindi में आप जानेंगे की उस समय से ही परिवार बहुत मायने रखता है।
यह दुनिया का सबसे पहला प्रेम विवाह था इसलिए इस विवाह में भी थोड़ी बहुत अर्चन आई थी पार्वती जी के माता-पिता विवाह के लिए बिल्कुल भी राजी नहीं थे उनकी माता जी शिव जी उनके साथ जो भूत थे उनको देख कर बेहोश हो गई मैनावती अपने कक्ष में आराम कर रही थी देवी पार्वती उनकी होश में आने की प्रतीक्षा कर रही थी
मैनावती को होश आता है मैनावती कहती हैं यह विवाह नहीं हो सकता होश में आते ही लेकिन पार्वती जी ने कहा लेकिन क्यों मां उन्होंने कहा महादेव का रूप देखा है पारवती जी ने कहाँ जी ने अत्यंत मोहक है। मैनावती ने कहा ऐसे रूप को तुम मोहक रूप कहती हो अगर मुझे पता होता कि मेरे होने वाले जमाता ऐसे विकराल होंगे तो मैं ऐसे ही विवाह की कभी
सहमति नहीं देती पार्वती सोचो यहाँ वो ऐसे हैं तो कैलाश पर उनकी जीवन शैली कैसी होगी और उनके वह भूत पिशाच जिनके साथ रहते हैं वह तो कैसे कैसे होंगे तुम महल की राजकुमारी उस कैलाश पर कैसे रहोगी केवल उनके बाहरी रूप को देखकर आपने इतना कुछ सोच लिया मैं तुम्हारे ही भले की कह रही हूं पार्वती जी बोली ठीक है लेकिन मां महादेव को
एक अफसर तो दीजिए मैं उनसे बात करूंगी और मैं उनके सामने भी नहीं आऊंगी तो देवी पार्वती महादेव से मिलने कक्ष में जाती हैं और उनके बीच एक सफेद पर्दा है ताकि वह दूसरे को विवाह से पहले देख ना पाए शिवजी बोले पार्वती यह हमारे बीच पर्दा कैसा उन्होंने कहा विवाह से पूर्व हम आपसे मिल नहीं सकते शिव जी ने कहा लेकिन क्यों यह सांसारिक नियम है।
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पार्वती जी ने कहा आप बहुत भोले हैं इसलिए आप इन सब से ज्ञात नहीं है। और आप इसी रूप में मां के सामने आए मां बेहोश हो गई। शिव जी ने कहा पर मैं तो ऐसा ही हूं और मैं तो सदैव जैसा हूं वैसा ही रहूंगा और तुमने भी मेरे इसी रूप से प्रेम किया है ना तो मैं तुम्हें पाने के लिए ऐसा रूप धारण क्यों करूं जैसा मैं हूं ही नहीं पार्वती तुम्हारी मां मेरे इस रूप को देख कर मेरे अंतर रूप को कैसे समझ सकती हैं यह तो नश्वर है। पार्वती जी ने कहा अगर मनुष्य समझ पाता तो भगवान
बन जाता मेरी मां भी मनुष्य ही है। इसलिए भी उन्होंने यह नहीं समझा सकते आप का तो मुझे हर रूप रंग और ढंग पसंद है लेकिन मां को यह नहीं समझेंगी महादेव आपको एक अत्यंत मोहक रूप धारण करना होगा नहीं तो हमारा मिलन असंभव है कृपया मेरे लिए कर लीजिए शिव जी ने कहा कि मुझे कैसे पता कि विवाह के लिए कैसे तैयार होते हैं
तभी विष्णु जी प्रकट होते हैं उन्होंने कहा मैं हूं ना मैं आपको तैयार करूंगा आपका श्रृंगार करूंगा फिर मैनावती आपको जमाता के रूप में स्वीकार अवश्य करेंगी आप को मेरे सारे सुंदर अवतार से भी आप आपका अवतार सुंदर होगा और आपका यह रूप चंद्रशेखर के नाम से जाना जाएगा विष्णु जी शिवजी जी को अपने साथ एक कक्ष में ले जाते हैं और उनका
अपने हाथों से उनका श्रृंगार करते हैं और वह काफी अच्छा उनका श्रृंगार करते हैं आप जा सकते हैं मैनावती के सामने शिवजी जी अपना त्रिशूल ले ते हैं तभी विष्णु जी उनको मना करते हैं नहीं महादेव आप इसके के बिना जाना होगा देवी पार्वती के लिए शिवजी सोच में पड़ गए और बोले चलो ठीक हैं मेरे को जाना ही पड़ेगा अपनी वस्तु का त्याग करके मुझे
जाना पड़ेगा कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ेगा। पार्वती के सामने जाते हैं पार्वती शिव जी का वह रूप देखकर बहुत खुश हो जाती हैं।पार्वती जी बोली अब तो मां इस विवाह के लिए मना नहीं करेंगी। वह सब मैनावती जी के सामने जाते है। और वह शिव जी को देख क्र बोलती है। आप जैसे जमाता पा कर मैं तो धन्य हो गई मैं इस विवाह को अनुमति देती हूं। इसी दिन से महादेव चंद्रशेखर के नाम से भी जाने जाते हैं। पार्वती जी का शिवजी के साथ विवाह हुआ उस रात को शिवरात्रि कहते हैं।
1 टिप्पणियाँ
Bahut hi sundar kahani shiv parvati ji ki ye kahani sun kar pata chal ki sach me pyar krne walo ka janam ek sath jine ke liye hi hota hai
जवाब देंहटाएंHar har mahadev 🙏
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