कृष्ण जन्म की कहानी | Mythology Story in Hindi | Moral Story In Hindi

कृष्ण जन्म की कहानी | Mythology Story in Hindi

                                         Happy Janmashtami| Mythology Story in Hindi | Moral Story In Hindi


यह Mythology Story in Hindi के साथ Moral Stories in Hindi भी है। इस Mythology Story में आप जानेंगे की भगवान कृष्ण के जन्म के समय उनके माता पिता को कितनी तकलीफे सहनी पड़ी वो भी उनके भाई और कृष्ण के मामा के द्वारा पर बुराई ज्यादा समय तक नहीं रहती और उस बुराई का कैसे अंत हुआ आप इस कहानी को पढ़ कर जान पाएंगे। तो शुरू करते यह है। Mythology Story in Hindi


द्वापर युग में पृथ्वी पर राक्षसों के अत्याचार लगातार बढ़ने लगे पृथ्वी गाय का रूप धर भगवान ब्रह्मा और विष्णु के पास गई हे भगवान धरती पर राक्षसों के अत्याचार बहुत बढ़ गए हैं कृपया इसका निवारण कीजिए ब्रह्मा जी बोले अब आपको पृथ्वी की रक्षा के लिए धरती पर आठवां अवतार लेना ही होगा विष्णु जी बोले मैं पृथ्वी का उद्धार करने के लिए मानव रूप में जन्म लूंगा। 


भोज वंशी राजा उग्रसेन मथुरा के राजा थे उनका पुत्र कंस बहुत ही अत्याचारी स्वभाव का था। कंस ने उग्रसेन को राजगद्दी से उतारकर कारागार में डाल दिया उग्रसेन बोले कंस तू मेरा पुत्र है यह सोच कर मुझे लज्जा आ रही है देखना एक दिन तेरे पाप का घड़ा घड़ा अवश्य भरेगा। कंस की छोटी बहन देवकी के विवाह की तैयारी चल रही थी देवकी मथुरा के राजा उग्रसेन के छोटे भाई की देवक की पुत्री थी


यह कंस की चचेरी बहन थी। कंस बोले प्रिय बहना देवकी कल तुम इस महल से विदा हो जाओगी तुम्हारे बिना यह महल सुना हो जाएगा अगले दिन देवकी का विवाह वासुदेव से हो गया कंस प्रेम से बोले महाराज वासुदेव मैं अपनी बहन देवकी से बहुत स्नेह कर बहुत प्रेम करता हूं इसलिए आप दोनों को मैं अपने रथ पर ससुराल विदा करके आऊंगा वासुदेव बोले तो हमारे लिए बहुत ही सौभाग्य की बात है


महाराज कंस देवकी और वसुदेव को छोड़ने जाता है, कि रास्ते में एक आकाशवाणी होने लगी एक जिस देवकी को ले जा रहा है उसी का बेटा तेरा काल बनेगा इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां पुत्र तेरा वध करेगा तेरा वध करेगा यह आकाशवाणी कैसी नहीं यह झूठ है आठवां बालक मेरा वध करेगा नहीं ऐसा नहीं हो


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सकता यदि ऐसा है तो मैं वसुदेव का ही वध कर देता हूं तभी देवकी बोली नहीं भैया इनका वध मत करो मैं आपके हाथ जोड़ती हूं मेरा सुहाग मत उजाड़ो मैं आपसे वादा करती हूं मेरे घर से जो भी संतान पैदा होगी उसे मैं तुम्हें सौंप दूंगी पर इन्हें मत मारो ठीक है कंस बोले मैं वासुदेव का वध नहीं करूंगा पर तुम दोनों अब मेरे महल की काल कोठरी में बंद कर रहोगे। वासुदेव और देवकी को काल कोठरी में डाल दिया देवकी वसुदेव दोनों बहुत दुखी थे। 


देवकी वासुदेव कारागृह में दुख भोग रहे थे कंस दोनों को धमकाते रहता था। देवकी के बच्चा पैदा होते ही कंस कारागृह में आकर उनके हाथों से बच्चे को छीन लेता बोलता यह पुत्र मुझे दो, देवकी बोली मेरे पुत्र को मत मारो भैया नहीं स्वामी स्वामी हमारा पुत्र अपने सामने अपने सभी पुत्र का वध होते हुए कैसे


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देख पाऊंगी कंस ने उसके पुत्र को मार दिया वासुदेव ने भगवान से प्रार्थना की कोई रास्ता दिखाओ कंस के अत्याचारों से हमें छुटकारा दिलाओ कंस बहुत ही अत्याचारी था जिससे प्रजा बहुत डरती थी। दुराचारी कंस ने वसुदेव के सातो बच्चों को मार डाला आठवां बच्चा होने वाला था तभी उसने पहरा और बढ़ा दिया


उन दोनों के काराग्रह में बंद होने की बात नंद गांव में वासुदेव के मित्र नंद के कानों में पहुंची उनको बहुत दुख हुआ मुझे उनकी सहायता करनी होगी पर यशोदा को भी बच्चा होने वाला है मुझे कैसे भी उनकी सहायता करनी होगी आंठवे बच्चे की रक्षा का उपाय सोचना होगा जिस समय वसुदेव देवकी को पुत्र हुआ उसी समय यशोदा के गर्व से एक कन्या का जन्म हुआ जो और कुछ नहीं सिर्फ एक माया थी।



कृष्ण जन्म की कहानी | Mythology Story in Hindi | Moral Story In Hindi


भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में श्री कृष्ण का जन्म हुआ उनके जन्म लेते ही जेल की कोठरी में प्रकाश फैल गया वासुदेव के सामने भगवान प्रकट हुए उन्होंने कहा वासुदेव मैं बालक का रूप लेकर देवकी के गर्भ से जन्म ले चुका हूं मेरा यह अवतार कंस के संहार के लिए हुआ है।


अब देर न करो मुझे तत्काल गोकुल में नंद के यहां पहुंचा दो और उनकी अभी-अभी जन्मी कन्या को लाकर कंस को सौंप दो यह कहकर भगवान विष्णु अंतर्ध्यान हो गए देखते ही वसुदेव की हथकड़ियां अपने आप खुल गई काराग्रह के द्वार खुल गए सभी पहरेदार सो गए देवकी बेहोश अवस्था में थी। 


वासुदेव ने कृष्ण को एक टोकरी में रखकर गोकुल को चल दिए बारिश तूफान के बीच कृष्ण को उठाए वासुदेव चल रहे थे। गंगा जी का स्तर भी काफी ऊंचा हो गया था बारिश इतनी तेज हो रही थी यमुना जी श्री कृष्ण जी के चरणों को स्पर्श करना चाहती थी इसलिए वह ऊपर हो गई भगवान ने अपने पैर लटका


दिए और चरण छूने के बाद यमुना नदी का स्तर नीचे हो गया और बारिश से बचाने के लिए वहां पर शेषनाग प्रकट हुए और उन्होंने अपने साथ फन फैलाए और किशन जी के को बारिश से बचाया तभी यमुना पार कर कर गोकुल में नंद के पास गए और बोले मैं इस बालक को तुम्हें सौंप रहा हूं


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यह बड़ा होकर मथुरा वासी को कंस के अत्याचारों से छुटकारा दिलाएगा तभी नंद बोले मित्र इस बालक को मुझे दे दो और मेरी पुत्री को ले जाओ नंद माया रूपी कन्या को वासुदेव के हाथों में दे देते हैं। यह लो मित्र इससे पहले कि कंस कारागृह में पहुंचे तुम शीघ्र ही इसे लेकर वापस लौट जाओ वह वापस चल दिए


और पहुंचते ही कारागृह के द्वार अपने आप बंद हो जाते हैं हथकड़ियां भी लग जाती हैं तभी सब जाग जाते हैं। बच्चे की रोने की आवाज सुनकर सब सैनिक जाग जाते है जब सैनिकों को ही पता लगता है कि वह पुत्र नहीं पुत्री है। तब यह बात कंस को बताते हैं महाराज की जय हो देवकी ने पुत्र को नहीं पुत्री को


जन्म दिया है कंस बोले क्या ऐसा कैसे हो सकता है कोई बात नहीं शायद मेरे प्रकोप से भगवान भी डर गए और वह हंसने लगा यह तो विधि का विधान बदल गया पर मुझे सावधान रहना होगा मैं इस कन्या का भी वध कर दूंगा देवकी बोली भैया इसे छोड़ दो यह तो कन्या है आपको तो मेरे आठवें पुत्र से डर है।


न कंस ने देवकी की एक ना सुनी और कन्या को देवकी से छीन लिया जैसे ही वह कन्या को मारना चाहता था वैसे ही कन्या छूट गई और वह आकाश में जाकर बिजली बन गई और बिजली बन कर एक आवाज सुनाई दी कंस तुझे मुझे मार कर कोई लाभ नहीं मिलेगा तुझे मारने वाला तो कब का पैदा हो


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चुका है और गोकुल पहुंच चुका है। यह कहकर बिजली कड़कना बंद हो गई यह सुनकर कंस  काफी गुस्सा हुआ और महल में आया उसने श्री कृष्ण को मारने के लिए अनेक राक्षस भेजे जिसमें से एक पूतना भी थी लेकिन कृष्ण जी ने सभी राक्षस को मार डाला बड़े होकर कृष्ण जी ने कंस को भी मार दिया और


उग्रसेन को राज गद्दी पर पर बैठा दिया उस दिन से श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को सारे देश में बड़े हर्ष उल्लास से जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में इस त्यौहार की विशेष धूम रहती है और इसी के साथ पूरे क्षेत्र में जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है।


Happy Janmashtami 


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