पंच केदार का इतिहास | Mythology Story in Hindi | Kedarnath Temple History

पंच केदार का इतिहास 

यह Mythology Story in Hindi के साथ Moral Stories in Hindi भी है। इस Mythology Story में आप जानेंगे की पंच केदार कैसे उत्पन्न हुए और क्यों उनको इतना पवित्र स्थान क्यों माना जाता है। पांचो पांडवो के द्वारा महाभारत में किये नर संहार की क्षमा मांगने वो भगवान शिव के पास जाते है। तभी भगवान शिव द्वारा कैसे पंच केदार प्रकट हो गए। तो जानते है।

 

पंच केदार का इतिहास | Mythology Story in Hindi


महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था युधिष्ठिर अपने चार भाइयों के साथ श्री कृष्ण से मिलने गए कृष्ण जी बोले बधाई हो धर्मराज आज अधर्म पर धर्म की जीत हुई ई युधिष्ठिर बोले माधव आपकी सहायता के बिना हमारा जीतना मुश्किल था कृष्ण जी बोले मेरा काम तो सिर्फ राह दिखाना था उस राह पर चलना तो आप सब पर निर्भर करता है पार्थ।


पांचो पांडव श्री कृष्ण की बात सुन रहे थे वह बड़े दुखी लग रहे थे आप सब इतने चिंतित क्यों हैं क्या हुआ देवकीनंदन हमने अपने ही भाइयों की हत्या की हत्या की है हम सभी को इसी बात का खेद है और अर्जुन बोले हां माधव अब आप ही कोई उपाय बताइए हम इस मृत्यु के बाप से मुक्ति कैसे पाए माधव बोले वह तो इस बात से चिंतित है आप आपको इसके लिए महादेव


के पास जाना होगा एक महादेव आपको हत्या के पाप से मुक्ति दिला सकते हैं किंतु क्या माधव श्री कृष्ण चिंतित हो गए महादेव आप पांच से अत्यंत क्रोधित हैं भीम बोले माधव आप चिंतित ना हो वह चाहे कितने भी रुष्ट हो हम उनके दर्शन करके हस्तिनापुर वापस लौटेंगे अब हमें आज्ञा दीजिए हम विश्वनाथ के दर्शन हेतु काशी प्रस्थान करते हैं।


श्री कृष्ण के सामने हाथ जोड़ते हैं और पांचों भाई काशी जाने के लिए निकल पड़ते हैं और कुछ दिनों के बाद वह काशी पहुंच जाते हैं काशी पहुंचने के बाद उन्हें वहां शिवजी नहीं मिले पांचों भाई बहुत ही चिंतित हो गए यहां तो शिवजी नहीं है अर्जुन लगता है महादेव हमसे अत्यंत रुष्ट हैं इसलिए अब हमें वह दर्शन नहीं दे रहे हैं तो अब हम क्या करें हे माधव अब


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आप ही हैं जो हमें रास्ता दिखा सकते हैं तभी कृष्ण वहां पर प्रकट हुए और बोले मेने पहले भी कहा था कि महादेव आप से अत्यंत रुष्ट हैं और इसलिए वह आपको प्रत्यक्ष दर्शन देना नहीं चाहते सज्जन बोले तो हमें इस भर्ता हत्या के पाप से मुक्ति कैसे मिलेगी मुक्ति तो आप सब को केवल महादेव दिला सकते हैं और क्योंकि वह आपको प्रत्यक्ष दर्शक नहीं देना चाहते


वह काशी से अंतर्ध्यान होकर अपने प्रिय स्थल केदार में गए हैं अगर आपको उनके प्रत्येक दर्शन करने हैं तो आपको केदार क्षेत्र में जाना होगा  युधिष्ठिर बोले ठीक है हम जाएंगे और मुक्ति पाकर ही वापस लौट आएंगे कल्याण हो श्री कृष्ण वहां से अद्श्य हो जाते हैं पांचों भाई अब केदार की ओर प्रस्थान करते हैं थोड़े दिनों के पश्चात वह पहुंचते हैं


शिवजी पांडवो को वह देखते ही क्रोधित हो जाते हैं और बोलते हैं यह सब यहां भी पहुंच गए किंतु मैं इन्हें दर्शन देना नहीं चाहता मैं बैल का रूप धारण करके गाय और बैल के झुंड में शामिल हो जाता हूं वह मुझे कभी भी ढूंढ नहीं पाएंगे और शिवजी बेल का रूप लेकर गाय और बैल में शामिल हो गए पांच पांडव शिवजी को ढूंढ रहे थे यहां तो कहीं भी महादेव नहीं


दिख अर्जुन तभी भीम को  एकदम अलग बेल दिखता है उसको देखकर आश्चर्य होता है और वो कहते हैं उसे देखो वो बेल सबसे अलग है  तो देखो मैं क्या करता हूं अपना भीम अपना विशाल रूप धारण करते हैं। और मैं दोनों पैर पहाड़ों के बीच फैला देते हैं और बोलते हैं मुझे ज्ञात हो गया है कि मेरे भोलेनाथ बैल का रूप धारण किया है अब मेरे बोलने से सारे पशु मेरे


दोनों पेरो के निचे से चले जाएंगे लेकिन महादेव नहीं जाएंगे और हुआ भी वैसा ही बाकी सारे जानवर भीम के पैरों के बीच होकर गुजर गए सिर्फ एक बैल को छोड़कर बाकी सब पांडवों ने भी शिवजी को पहचान लिया शिवजी मां धरती मंत्र ध्यान होने लगे भीम ने उन्हें  पकड़ लिया अब तुम मुझे पांडवों के समक्ष प्रकट होना ही पड़ेगा शिवजी अपने वास्तविक रूप में


पंच केदार का इतिहास | Kedarnath Temple History

आ गए शिव जी और सब पांडव उनके सामने खड़े रहते हैं। मैं आपकी भक्ति आदरणीय को देखकर प्रसन्न हुआ मैं तुम पांचों को हत्या के पाप से मुक्त करता हूं सभी बोलते हैं आप को कोटि-कोटि प्रणाम महादेव आप के दर्शन पाकर और भ्राता हत्या के पाप से मुक्ति पाकर हम पांडव धन्य हुए।  श्री कृष्ण वहां प्रकट होते हैं और बोलते हैं महादेव भूमि में अंतर्ध्यान होते


समय आपका पीठ का भाग यहीं पर स्थापित हो गया इसलिए युगो युगो तक आप यहां पर केदारनाथ के नाम पर पूजे जाएंगे आप धार के ऊपर का भाग काठमांडू में प्रकट हुआ इसलिए आप वहां पर पशुपतिनाथ के नाम से पूजे जाएंगे इसी तरह जहा आप की भुजाएं प्रकट हुए हैं वह आप तुंगनाथ के रूप में जहां आप का मुख्य प्रकट हुआ वहां रुद्रनाथ के रूप में जहां क्या पर आपकी जटा प्रकट हुई वहां कल्पेश्वर के रूप में और नाभी जहां प्रकट हुई वहां मद्महेश्वर के रूप में पूजे जाएंगे इसलिए आज भी केदारनाथ को पंच केदार नाथ भी कहा जाता है। 


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