स्वामी विवेकानंद और वायरस | Moral Stories In Hindi

यहाँ कहानी Moral stories in Hindi है और ये कहानी New moral stories है इस कहानी ब्लॉग में आपको पढ़ने को मिलेगा की खतरनाक महामारी के दुनिया के बच्चो पर और उनके पेरेंट्स पर क्या असर पड़ा और उनके टीचर बच्चो को इस दर से कैसे बहार निकलते है और उनको आगे पढाई जारी रखे के लिए हिम्मत देते

स्कूल पिछले 11 महीने से बंद था लेकिन वायरस का प्रभाव देखकर स्कूल शुरू करने का फैसला लिया गया सारे क्लासरूम सेनीटाइज किए गए और टीचर्स को स्पेशल ट्रेनिंग दिया गया इधर स्कूल की खुलने की खबर सुनकर तो पिंकी की पूरी सोसाइटी परेशान हो गई थी सब पेरेंट्स बच्चों को लेकर चिंतित थे वह आपस में बात कर रहे थे वह बोल रहे थे गट्टू चिंटू के पापा क्या आप अपने बच्चों को स्कूल भेजने वाले हो उनके पापा बोले हैं भेजना तो पड़ेगा क्योंकि ऑनलाइन क्लास में बच्चे ठीक से पढ़ नहीं पा रहे हैंस्कूल जाकर ठीक से पढ़ तो पाएंगे तभी दूसरे बोलते हैं कोई फायदा नहीं होने वाला इतने दिनों तक का गैप और एकदम से पढ़ाई लिखाई बच्चे सह नहीं पाएंगे इधर गट्टू पिंकी भी डरे हुए थे वह स्कूल जाना नहीं चाहते थे वह बोलते हैं हम नहीं जाएंगे स्कूल वहां वायरस है तभी उन की मां बोलती है बेटा तुम्हारे फ्रेंड्स भी तो आएंगे बट्टू  बोला कोई नहीं आने वाला बट्टू बोलै मेने कॉल किया था सनी पूजा कोई नहीं आना चाहता हम भी नहीं जाएंगे ऐसा कहकर बट्टू पिंकी रोने लगे और मम्मी पापा परेशान हो गए 12 जनवरी की सुबह हो गई मम्मी ने बट्टू पिंकी को मुश्किल से उनको तैयार किया और पापा के साथ स्कूल भेज दिया और पापा के साथ स्कूल के सामने आते ही वॉचमैन ने उन्हें रोक लिया



सर पेरेंट्स को अंदर अलाउ नहीं है आप शाम को आएगा आपके बच्चे आप तक पहुंचा जी दिए जाएंगे वॉचमैन की बातें सुनकर पापा लौटने लगे तो उन्हें ज्यादा देख बट्टू पिंकी जोर से रोने लगे वॉचमैन बोलता है बेटा आप लोग अंदर जाओ डरो नहीं क्लास में अवस्थी सर आपका इंतजार कर रहे हैं क्लास में बट्टू पिंकी मायूस बैठे थे क्लास में अब वह पहली वाली बात नहीं रही थी सारे बच्चे एक दूसरे से दूर बैठा दिए गए थे

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जिसका परिणाम बच्चों के मूड पर हुआ था अवस्थी सर पढ़ा रहे थे पढ़ाते पढ़ाते वह अचानक रुक गए और दुखी मन से मायूस बच्चों को निहारने लगे और बोलते हैं मैं जानता हूं आप सब डरे हुए हो ऐसे में पढ़ना ठीक नहीं हम बातें करेंगे आपका दर्द हल्का हो जाएगा बट्टू बताओ क्या परेशानी है


बट्टू बोलता है सर सब लोग कह रहे हैं कि अब स्कूल पहले जैसा नहीं रहेगा आप पढ़आओगे तो भी हमें समझ नहीं आएगा इतनी छुट्टियों के बाद अचानक पढ़ाई लिखाई से हमारे ऊपर प्रेशर आएगा पिंकी बोलती है सर फायरस अभी गया नहीं है हमारा कोई दोस्त स्कूल नहीं आया हमें भी जबरदस्ती भेज दिया गया बट्टू पिंकी की बात सुनकर अवस्थी सर बोले समझ गया आप सब डरे हुए हो आप का डर भगाने के लिए मैं आज आपको एक ऐसे महापुरुष की कहानी सुनाऊंगा 


जो जिंदगी में कभी किसी से नहीं डरे अपने उद्देश्य पर एकाग्र रहे और पूरे जगत में महान बने क्या कोई बताएगा कौन है वह महापुरुष बट्टू बोला सर मैं जानता हूं वह महापुरुष कौन है वह है स्वामी विवेकानंद सर बोलते हैं बिल्कुल ठीक बट्टू स्वामी विवेकानंद जी की कहानी और उनके विचार आज हमें ही नहीं बल्कि पूरे जगत को इस वायरस के दलदल से बाहर आने की प्रेरणा दे सकते हैं पिंकी बोली सर सुनाइए उनकी कहानी सर बोलते हैं



 


पैदल यात्रा करते करते स्वामी विवेकानंद जंगल से गुजर रहे थे तभी कुछ बंदर उनका पीछा करने लगे स्वामी जी डर गए और तेजी से भागने लगे और बंदर भी उनके पीछे पीछे भागने लगे स्वामी जी आगे और बंदर उनके पीछे इस प्रकार भागते भागते स्वामी जी काफी दूर गए तूने पूछा फिर क्या हुआ क्या बंदरों ने स्वामी जी का पीछा करना छोड़ दिया सर बोलते हैं नहीं बंदरों ने उनका पीछा करना नहीं छोड़ा भागते भागते स्वामी जी सोचने लगे की में भाग रहा हूं इसलिए बंदर मेरे पीछा कर रहे हैं

मतलब मैं डर रहा हूं इसलिए मुझे डरा रहे हैं अगर मैं ना डरो और इन सब का मुकाबला करू यह अपने आप पीछे हट जाएंगे बच्चों स्वामी जी भागते भागते रुक गए उन्होंने एक लाठी उठाएं और हिम्मत के साथ खड़े हो गए और कमाल हो गया बंदर भी रुक गए और लेथ देखकर वापस भाग गए इस प्रकार स्वामी जी ने हिम्मत दिखाकर संकट का सामना किया और वह सफल हो गए इस कहानी से आप क्या समझे पिंकी खड़ी होकर कहने लगी यही कि हमें बिना डरे स्वामी जी की तरह मुसीबत का सामना करना चाहिए

वायरस हमारे सामने मुसीबत बन कर खड़ा है लेकिन हमें उस से डरना नहीं चाहिए उसका मुकाबला करना चाहिए बिल्कुल स्वामी जी की तरह बट्टू बोला जितना हम डरते रहेंगे उतना वायरस हमें डर आएगा हमारा उद्देश्य पढ़ना है हम बिना डरे सतर्क रहकर अपनी पढ़ाई पर फोकस करेंगे तो हमारा लक्ष्य जरूर हासिल करेंगे सर जी बोले क्योंकि स्वामी जी ने कहा है उठो जागो और तब तक रुको नहीं जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाए तो बताओ क्या भारत से डरेंगे सभी बच्चे एक साथ बोलते हैं

नहीं सर वो पूछते हैं तो क्या आप सब रोज स्कूल आएंगे और अपने दोस्तों को भी लाएंगे सभी बच्चे बोलते हैं हां इस प्रकार स्वामी विवेकानंद जी की कहानी सुनकर बट्टू पिंकी के साथ-साथ सारे बच्चों में हिम्मत भी गई और भा से वायरस मुकाबला करने की शक्ति भी

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इससे बच्चो को ही नहीं बल्कि बड़ो को भी यहाँ सीख मिलती है की है डर होना अच्छा है पर ज्यादा डर होना भी अच्छा नहीं  मुश्किल तो आती ही रहेगी पर हमें उससे डटकर सामना करना की हम भविष्य में तरक्की कर सके अपने माँ बाप का नाम रोशन कर सके



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