Moral Story In Hindi | नकलची सहेली

नकलची सहेली


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इस कहानी में आपको पढ़ने को मिलेगा की कैसे एक सहेली अपनी दूसरी सहेली की नक़ल करती है और नक़ल करते करते खुद ही अपना नुकसान कर लेती है


राधिका की पड़ोसन सहेली सविता उसकी हर बात पर उसकी नक़ल करती है एक दिन वो राधिका के घर आती है और बोलती है सविता आओ आओ कैसे आना हुआ सविता राधिका लो मिठाई खाओ हमने आज ही अपने घर में भी एसी लगवाया है राधिका बोली अरे यार लेकिन ऐसी का तो बड़ा बिल आता है ना पर कविता बोली क्या करें लेकिन गर्मी इतनी है राधिका बोली


Moral Story In Hindi | नकलची सहेली


हां यह भी है मैं तो ना यह कूलर लेकर आई हूं थोड़ा महंगा है लेकिन बिजली का बिल किफायती आएगा और हां इसकी ये भी खासियत है कि किसी भी कमरे में लगा दो सविता बोली हां बात तो तुम ठीक कह रही हो राधिका बोली और पता है यह ब्रांड भी नया आया है बाजार में और फिर सविता की मिठाई उसी को खिलाते हुए कहती है यह मिठाई तुम खाओ और कूलर की खुशी पर सविता घर आ जाती है और अपने पति से कहती है कि मुझे ऐसी नहीं कूलर चाहिए वह भी


उस कंपनी का जो राधिका के घर पर लगा है उसका पति बोला क्या पागल हो गई हो तुमने यहां ऐसी लगवा दिया और अब कूलर क्यों भला सविता बोली क्योंकि कूलर को हम किसी भी कमरे में ले जा सकते हैं उससे बिल भी तो कम आएगा और पति बोला और तुम अपना मुंह बंद रखो सविता नाराज हो जाती है और ना चाहते हुए भी पति को अपना नया ऐसी सेलिंग साइट पर

डालना पड़ता है अगले दिन सविता राधिका के घर आती है और बोलती है यह लो मिठाई खा और बोलती है ये इतनी ठंडी हवा पता है हमने नया वाला कूलर ले लिया है पर तेरा कूलर दिख नहीं रहा राधिका बोली अरे यार कूलर सेना गर्मी कम ही नहीं हो रही थी तो बजट तो था नहीं तो कोई बेवकूफ अपना नया ऐसी बेच रहा था वह भी कूलर के दाम में तो क्या था बस हम लोगों ने ले लिया और वह सुनते ही और सविता का मुंह बन जाता है अरे सविता बोली यह क्या बोल रही हो कि कूलर ठीक रहता है ऐसी से ज्यादा बिजली का बिल आता है

2 महीने की तो गर्मी है कहीं और से बचत कर लूंगी लेकिन दिल्ली में शिमला का फील तो ले रही हूं राधिका ने तो फिर सविता की मिठाई उसे खिलाते हुए कहती है तो यह ले तू खा मिठाई देसी घी सविता को राधिका की नकल करना महंगा पड़ता है लेकिन कहते हैं ना आदत तो आदत होती है जल्दी नहीं बदलती सो एक रोज सविता बोली अरे राधिका बड़ी प्यारा सूट पहना है कहां से लिया 




कहां से लिया मटेरियल राधिका बोली अरे यार यह तो मेरे सास की अमानत थी उनकी सारी पहन नहीं पाती थी सोचा सूट ही बनवा लू कम से कम मम्मी जी को यह तो शांति रहेगी कि मैंने उनकी दी हुई साड़ी यूं ही रखकर खराब नहीं करा हंसते हुए फिर क्या था सविता भी साड़ी से सूट


बनवाने की ज़िद पकड़ लेती है हे भगवान सारी अलमारी देख ली लेकिन कोई सारी नहीं मिल रही अरे ये रही सारी मम्मी जी की ना सही मेरी तो है तभी उसका पति आ जाता है और बोलता है अरे साड़ी तो वही है ना जो मैं तुम्हारे लिए बनारस से लेकर आया था सविता बोली हां जी हां यह सारी को पहनकर तुम्हें पूरी दीपिका पादुकोण लगती हूं पति बोला हां सही बोल रही हो यह सारी तुम


पर मुझे बहुत ही प्यारी लगती है लेकिन आज यह साड़ी पहन कर कहां चली सविता बोली रिटेलर के पास ले जाकर इसको मैं सूट बनाऊंगी वह भी खीर वाला अरे तो कपड़ा साड़ी क्यों बर्बाद करती हो सविता पति की बात नहीं मानती और जाती है टेलर के पास अरे बहन जी इस कपड़ा में सूट नहीं बनेगा की सिलाई सविता बोली अरे ज्यादा मत बोलो मैं जानती हूं इसमें लगा कर देना


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और हां हमारी सोसाइटी की दिवाली पार्टी है शनिवार को तो तुम मुझे यह सूट शुक्रवार को किसी भी हालत में दे देना ठीक है फिर पार्टी में सविता पहुंचती है वह भी साड़ी का सूट पहनकर राधिका बोलती है अरे इतनी प्यारी साडी थी ट ेरी उसका सूट बनवा लिआ सविता बोली हां किया था तो बनवा लिया राधिका बोली अरे मन किया या फिर देखा देखी हंसते हुए


सविता को गुस्सा आ जाता है अरे देखा देखी क्यों क्या मुझ में अक्ल नहीं है क्या मैं फैशन सेंस नहीं रखती गुस्से में बोलती है सभी राधिका के साथ खड़ी बबीता बोल पड़ती है लेकिन सविता यह तो बनारसी कपड़ा है इसका सूट बहुत ही सावधानी से सिलाई ना जल्दी से की सिलाई खिसक जाती है लेकिन सविता कहां किसी की बात मानने वाली थी वह जैसे ही पकड़ने के लिए हाथ उठाती हैं सूर से सूट फटने की आवाज आती है चर अब तो बड़ी सारी औरतें हंसने लगती है


सविता भाग कर सीधे घर जाती है और रोने लगती है उसका पति बोलता है मैं यह समझ नहीं पा रहा हूं कि जब तुम इसे पार्टी में साड़ी की तरफ पहन सकती थी तो सूट क्यों बनवाया है इसका सविता रोते हुए बोलती है नकल करके मैं राधिका की नकल करती थी जो कि मेरी परेशानी का कारण बन गई अच्छी खासी साड़ी को मैंने बर्बाद कर दिया और सबके सामने खुशी खुद की


हस्ती भी उड़ वाली रोते हुए हैं पति बोलता है चलो अब रोना बंद करो कोई बात नहीं अब से नकल मत करना क्योंकि नकल बोला करते हैं जिन्हें कल नहीं होती तुम तो मेरी पढ़ी-लिखी प्यारी सी बीवी है ना पति के मुंह से तारीफ सुनकर सविता खुश हो जाती है और कभी भी नकल ना करने की कसम खा जाती है। 



Lessons learned from this story (Moral)


Hindi story for kids इससे बच्चो को ही नहीं बल्कि बड़ो को भी यह सीख मिलती है की नकल करना अच्छी बात है पर जब तक ही की वो अपना नुकसान न कर ले कोई और कुएँ में गिरे इसका मतलब नहीं की आप उसकी नकल कर के आप भी कूद जाये। तो आप बुरी नहीं अच्छी आदतों की नक़ल उतारे।

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