Mythology Story in Hindi | सुदामा और कृष्ण | Moral Story In Hindi

सुदामा और कृष्ण

यह Mythology Story in Hindi के साथ Moral Stories in Hindi भी है। इस Mythology Story में आप जानेंगे की कैसे सुदामा जी ने अपने परिवार के लिए अपने पुराने मित्र से मिलने गए और मित्र होने के नाते भगवान कृष्ण ने उनकी सहायता करि और सुदामा जी की जिंदगी में काफी परिवर्तन आ गया।

तो शुरू करते यह है। Mythology Story in Hindi


Mythology Story in Hindi | सुदामा और कृष्ण | Moral Story In Hindi

सुदामा कृष्ण के दोस्त और भक्त थे एक ब्राह्मण युवती से उनका विवाह हुआ था उनकी बहुत सारी संतान थी एक संतान बोली माताजी मुझे और भूख लग रही है मुझे ज्यादा खाना दे दीजिए माता बोली और खाना ले लो मैं तुम्हारे पिताजी से और खाना मांगती हूं मटके में बिल्कुल भी खाना नहीं बचा था

माता और अपने बच्चों को खाना खिला कर उन्हें सुला कर अपने पति की प्रतीक्षा कर रही थी। उनके पति मंदिर में पूजा को समाप्त करके घर वापस आए पत्नी बोली स्वामी आप द्वारकापुरी कृष्ण के बचपन के दोस्त हैं वह कृष्णा बहुत सुंदर रुक्मणी से विवाह किए हैं हम भूखे रहेंगे कोई दिक्कत नहीं है

लेकिन हम हमारे बच्चे भूखे रहेंगे खाना पीना जरूर देना पड़ता है सुदामा जी बोले उसके लिए हम क्या कर सकते हैं हमसे जितना हो सकेगा उतना कठिन मेहनत मैं कर रहा हूं मैं किसी से भीख नहीं मांग सकता पत्नी बोली मैं आपसे भीख मांगती हूं हाथ जोड़ती हूं भगवान कृष्ण से मिलने चलिए सुदामा जी बोले

परंतु मैं अपने दोस्त से कैसे मिलूंगा मैं आप से उनसे खाना और समृद्धि मांगने के लिए नहीं बोल रही हमारे बच्चे खुशी से जिए उसका आशीर्वाद चाहिए हमें उनका आशीर्वाद मिल जाए वही काफी है सुदामा जी चिंतित होकर वह बोले वह तो द्वारका के राजा हैं और द्वारपाल उनको भी उनसे भेंट करने के लिए

मुझे अंदर जाने देंगे उसके लिए मैं क्या लेकर जाऊं स्वामी आप तो रोज कहते हो आप तो कहते हो आपके दोस्त को बहुत पसंद है ना चिवड़ा थोड़ा सा में अभी लाती हूं सुदामा की पत्नी बोली। 

अपने पड़ोसी के घर जाकर हाथ भर पोहा उधार लेकर आ जाती है उसे एक पुराने कपड़े में बांधकर अपने पति के हाथों में दे दिया यह लीजिए स्वामी यह कोई महंगी चीज नहीं है लेकिन भगवान कृष्ण को प्यार से मैंने दिया है। आप उनको यह जरूर देना और हमारे बच्चे के लिए आशीर्वाद लेना आप जाइए


सुदामा जी निकल पड़े अपने खास दोस्त कृष्ण की पुरानी पुरानी यादें वह याद कर रहे थे फटे हुए कपड़े पहने हुए और लाठी में कपड़े की गांठ लेकर सुदामा जी द्वारका जा पहुंचे कृष्ण के महल की ओर पहुंचे तो द्वारपालों ने उन्हें रोक दिया द्वारपाल बोले ठहरो आपको किससे मिलना है सुदामा जी बोले देखिए


मैं अपने खास मित्र कृष्ण से मिलने आया हूं कृपया करके आप अंदर जाकर कहिए कि आप उनका खास मित्र सुदामा आया है द्वारपाल हंसने लगे और बोले क्या हम तुम्हें पागल दिखाई दे रहे हैं ऐसे वस्त्र पहनने वाले तुम हमारे महाराज के मित्र और उनको नाम से कैसे पुकार रहे हो तुम सीधी तरह से यहां से चले


जाओ तुम वरना काल कोठरी में बंद कर देंगे तुम्हें सुदामा जी देखिए मुझे भेंट करने दीजिए अपने मित्र से मिलने मैं बहुत दूर से आया हूं उनसे मिलने के लिए अंदर जाने दीजिए द्वारपाल बोले मित्र आप जैसा गरीब मनुष्य कैसे हमारे भगवान का मित्र बन सकता है लेकिन आप उनसे एक बार कह दीजिए कि मैं प्रतीक्षा


Mythology Story in Hindi | सुदामा और कृष्ण |


कर रहा हूं द्वारपाल बोले तुम समझ नहीं रहे हो क्या अगर तुम मिलना चाहते हो तो राज्यसभा में उनसे जाकर मिल सकते हो ऊपर टहलते हुए कृष्ण भगवान अपने पुराने दोस्त सुदामा को पहचान कर नीचे उतर कर उनकी तरफ आए और उन्होंने कहा रक्षकों उनको अंदर आने दीजिए वह अपने साथ सुदामा को अपने राज महल में ले गए और उन्होंने उन्हें बैठाया और कहां मैं आपके आने से बहुत खुश हूं


ऐसा कहकर कृष्ण ने सुदामा जी के चरणों को जल से अभिषेक किया कृष्ण को ऐसा करते देख कर वहां के सब लोग आश्चर्यचकित हो गए सुदामा भी आश्चर्य से कुछ बोल ही नहीं पाए  मित्र जब हम साथ पढ़ रहे थे हमारे नटखट दिन को मैंने आज तक याद करता हूं आज हम अलग अलग रहते है। फिर भी हमारे गुरु


के आशीर्वाद से तेरा जीवन भी अच्छा ही होगा सुदामा जी बोले अगर मैं बोलूं मेरा जीवन आज दरिद्रता में है तो हमारे गुरु जी का आशीर्वाद व्यस्त हो जाए व्यर्थ हो जाएगा इसलिए आज मैं तुमसे कुछ मांग लूंगा ही नहीं तुम्हारा आशीर्वाद ही बस काफी है कृष्ण मुस्कुराए अच्छा यह बताओ मेरे मित्र मेरे लिए क्या लाए हो


सुदामा और कृष्ण | Moral Story In Hindi

जरूर कुछ अच्छा लाये होंगे कृष्ण जी ने कपड़ा खोला उसमे पोहा निकला मेरा मनपसंद पोहा लाये हो अद्भुत है खाते हुए कृष्ण जी ने कहा। दूसरी बार खा रहे थे तभी रुकमणी देवी ने भगवान कृष्ण के हाथ को पकड़ कर रोक दिया और बोली आप यह क्या खा रहे हो आपने इनका जीवन काफी धन्य कर दिया


है तो कृष्ण अपनी पुरानी यादें याद करने लगे फिर वह सुदामा से बातचीत कर रहे थे सुदामा कृष्ण से कुछ पूछ भी नहीं पाए सुदामा को कृष्ण और रुक्मणी से मिलने के कारन सुदामा जी को कोई थकान महसूस ही नहीं हुई और वह वापस अपने घर की ओर चल पड़े घर पहुंचते ही तो वहां झोपड़ी की जगह


महल को देखकर आश्चर्यचकित हुए नए कपड़े पहन कर उनकी पत्नी और उनके बच्चों ने उनका स्वागत किया इस पूरे बदलाव का कारण उनकी दोस्ती है उनके कास्ट दूर करने वाले कृष्ण भगवान पर उनकी भक्ति और अधिक हो गई। 


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