महात्मा गौतम बुद्ध की कहानी | Mythology Story in Hindi | महात्मा बुद्ध की जीवनी

महात्मा गौतम बुद्ध की कहानी

इस Mythology Story in Hindi में आपको पता लगेगा की। गौतम बुध महाराज का जन्म कहा हुआ। और वह अपने राज पाठ का त्याग कर। कितनी मुसीबतो का सामना करके एक आध्यात्मिक गुरु बनते है। यह Moral Story उन लोगो के लिए काफी शिक्षा देने वाली है जो अपनी राह से भटक गए। बहुत दुखी भी रहते है। 


महात्मा गौतम बुद्ध  Mythology Story


यह कहानी 563 ईसा पूर्व कपिलवस्तु के पास लुंबिनी नेपाल में गौतम बुध का जन्म हुआ था उनके बचपन का नाम सिद्धार्थ गौतम है। वह राजा शुद्धोधन और महारानी महामाया देवी के घर पैदा हुए थे उस समय की परंपरा थी जब भी बच्चों का जन्म करीब होता था। तो महिला अपने मायके आ जाती थी


लेकिन जब महारानी अपने मायके कपिलवस्तु आए रही थी तभी रास्ते में गौतम बुद्ध के जन्म का समय आ गया और इसीलिए लुंबिनी नेपाल में एक पेड़ के नीचे गौतम बुद्ध पैदा हो गए और जन्म के 7 दिन बाद उनकी मां की मृत्यु हो गई थी। लेकिन जब बुद्ध जी को राजा जी के पास ले जाया गया  तब वहां सभी


रीति रिवाज से उनका नाम सिद्धार्थ रखा गया और इन के नामकरण के दौरान कई नामी साधु संत आए थे। जिनमें से ज्यादातर सिद्धार्थ के बारे में भविष्यवाणी की कि यह महान राजा बनेंगे या फिर एक महान साधु और फिर मां की मृत्यु के बाद से सिद्धार्थ का पालन पोषण उनकी मौसी महा प्रजापति गौतम ने


किया और उनके पिता बचपन से ही उनको महान राजा बनाना चाहते थे। और इसीलिए उन्होंने सिद्धार्थ को धार्मिक ज्ञान से बचपन मैं दूर रखा लेकिन सिद्धार्थ बचपन से ही काफी दयालु थे। वह किसी को भी दुख नहीं पहुंचाना चाहते थे। यहां तक कि वह खेलते समय जानबूझकर खुद ही हार जाया करते थे


और जब उनके चचेरे भाई देवदत्त ने अपने बाण से हंस को घायल किया था। तब भी हंस की रक्षा भी सिद्धार्थ ने करी और  यही सब बातें थी जो सिद्धार्थ को बाकी सब लोगों से अलग बनाती थी। जब सिद्धार्थ 16 साल के थे तब उनकी शादी राजकुमारी यशोधरा से कर दी गई और फिर इसी समय से ही वह लगातार कई सारे धार्मिक सवालों के जवाब ढूंढने लगे और फिर अपने युवावस्था में बाहर निकलकर जनता के बीच गए। 


महात्मा गौतम बुद्ध Mythology Story in Hindi



तो उन्होंने बीमारी अपार सांसारिक दुखों की तरफ बहुत सारी ऐसी बातें जानी जो उनको पहले कभी नहीं पता थी। फिर अपने पिता के विरुद्ध उन्होंने एक रात महल छोड़ने का फैसला लिया और फिर बाहर आकर उन्होंने निश्चय किया कि वह दिव्य ज्ञान की प्राप्ति करेंगे बस यहीं से शुरू हो गई सिद्धार्थ की

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गौतम बुध बनने की यात्रा वह सबसे पहले अनुमान नदी के तट पर पहुंचे जहां उन्होंने अपने पहले बाल कटाए और फिर साधु के कपड़ों में आ गए जहां पर भिक्षा मांगने लगे उनके भिक्षा मांगने के दौरान वहा के राजा के लोगों ने सिद्धार्थ को पहचान लिया और फिर राजा के दरबार में ले जाया गया तब भी

राजा ने रहने के लिए सिद्धार्थ को अपने राज्य का कुछ हिस्सा देने की बात कही फिर सिद्धार्थ ने यह सामाजिक लालच में नहीं आए उन्होंने राजा से भी मिली सहायता को लेने से इनकार कर दिया फिर वहां से निकलने के बाद बहुत ही बड़े योगी से टीचर से शिक्षा प्राप्त की और काफी घोर तपस्या के बाद उन्होंने सही तरीके से ध्यान लगाना शुरू कर दिया। फिर बोधगया पहुंचकर एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ

लगातार 49 दिन तक उन्होंने ध्यान लगाया तब उन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि कि उनकी उम्र उस समय 35 साल की थी वह उसके बाद 80 साल की उम्र तक प्रचार प्रसार करने में लगे रहे और इस दौरान उन्होंने बहुत सारे भक्त बनाएं जो की उनके दिखाए गए मार्ग पर चलते रहे। आज के समय में भी देखा जाए तो उनके भक्तों और उनके फॉलोअर्स की संख्या करोड़ों में है

जिसमें कोरिया, चीन, जापान, भारत, और नेपाल जैसे देशों के बहुत सारे लोग वहां आपको देखने को मिल जाएंगे और आज भी गौतम बुध के द्वारा यही शिक्षा लोगों को इंस्पायर करती है।

आशा है भगवान सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध बनने की यह तैयारी आपको बहुत पसंद आई होगी।


महात्मा गौतम बुद्ध  Mythology Story


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