राखी अमीर और गरीब की | Moral Story for Kids in Hindi | Hindi Story

अमीर और गरीब की राखी। Moral Story in Hindi


यह Moral Story for Kids in Hindi के साथ Moral Stories in Hindi भी है। इस Hindi Story में आप जानेंगे की कैसे रिश्ते के बीच आमिर और गरीबी की दिवार आ जाती है। जब भाई बहन का पवित्र रिश्ता टूट जाता है। तो कितना दुख होता है। फिर कई मुश्किलों के बाद भी ये पहले की तरह जुड़ नहीं पाता। 

तो शुरू करते यह है। Moral Story in Hindi


राखी अमीर और गरीब की | Moral Story for Kids in Hindi | Hindi Story

रमनपुर राम के शहर में एक निशा नाम की लड़की रहती थी उस का कोई भाई नहीं था और मम्मी भी नहीं थी। वह बहुत अमीर परिवार से थी एक बार वह अपने पापा के साथ कहीं जा रही थी। उसके पापा बोले मैं पास की दुकान से कुछ खाने के लिए लाता हूं उसके पापा कुछ खाने के लिए लेने चले गए

उसे अकेला छोड़ कर तभी उसे दूर एक लड़का राखी बेचता हुआ दिखा उसका नाम रमेश था। निशा उसके पास आई दुकानदार बोला ले लो राखी अच्छी है निशा बोलती है लेकिन मेरा तो कोई भाई नहीं है तो मैं किसे राखी बांधूंगी रमेश बोला मेरी भी कोई बहन नहीं है ऐसा करो तुम मुझे राखी बांध दो निशा

खुश हो जाती है तभी उसके पापा आते हैं निशा बोलती है 3 दिन बाद राखी है मैं यहां आ कर तुम्हें राखी बांध दूंगी मेरे पापा आने वाले हैं अभी मैं जाती हूं रमेश भी बहुत खुश होता है 3 दिन बाद जब राखी का दिन आता है तब निशा राखी लेकर रमेश को राखी बांध देती है रमेश बोलता है बहन मेरे पास कुछ है

नहीं तुझे देने के लिए मैं खुद एक गरीब लड़का हूं और तुम एक अमीर मैं तुम्हें क्या दे सकता हूं। निशा बोली भाई मैं तुमसे कुछ लेने के लिए राखी नहीं बांधी बस मुझे एक भाई मिल जाए आज से तुम मेरे भाई हो और मैं तुम्हारी बहन हूं और वह रमेश को अपने दोस्तों के साथ मिलवाने ले जाती है।

पर रमेश के कपड़े काफी पुराने होते हैं और फटे होते हैं तो उसकी दोस्त हंसने लगती है और उसकी फ्रेंड बोलती है। क्या तुझे कोई और भाई नहीं मिला देख इसके पास तो कोई कपड़े भी नहीं है इस गरीब को तूने भाई बनाया जैसे भी हैं मेरे भाई हैं निशा ने कहा निशा रमेश को लेकर वहां से चली जाती है

और वहां उसे कपड़े दिला देती है।  पर रमेश उन कपड़े लेने से इनकार करता है क्योंकि वह काफी महंगे होते हैं पर निशा कहती है यह राखी का गिफ्ट समझकर ले लो तो रमेश उसकी बात मान कर ले लेता है तब वह अक्सर मिलते रहते थे और काफी बातें करते थे। काफी दिनों बाद अगली राखी का त्यौहार आता है रमेश भाई उसी जगह पर

निशा का इंतजार करता है पर काफी देर हो जाती है निशा नहीं आती रमेश उसे ढूंढता हुआ उसके घर पहुंच जाता है उसकी बहुत बड़ी घर की बिल्डिंग देखकर वह हैरान रह जाता है फिर वह अंदर जाता है तभी सिक्योरिटी गार्ड उसे रोककर बोलता है तुम अंदर नहीं जा सकते रमेश बोलता है


मुझे निशा से मिलना है सिक्योरिटी गार्ड बोलता है तुम निशा से नहीं मिल सकते और वैसे भी तुम हो कौन जो निशा बेबी से मिलना चाहते हो वह बोलता है मैं उसका भाई हूं पर उनका तो कोई भाई है ही नहीं और उन्हें क्या तुम ही मिले थे भाई बनाने के लिए जाओ यहां से किसी और को बेवकूफ बनाना रमेश वहां से


नहीं जाता और रात भर वही खड़ा रहता है आंधी तूफान आते हैं बारिश हो जाती है और वह भूखा प्यासा वही खड़ा रहता है तभी निशा के पापा सिक्योरिटी गार्ड से पूछते हैं यह कौन खड़ा है सिक्योरिटी गार्ड बताता है कि यह निशा बेबी को अपना भाई बता रहा है और उनसे मिलने जाता है। तभी निशा के पिताजी



राखी अमीर और गरीब की | Moral Story for Kids in Hindi

उससे बात करते हैं कौन हो तुम और यहां क्यों खड़े हो रमेश बोलता है आज राखी है तो मुझे उससे मिलना है और राखी बंधवानी है उसके पिता बोलते हैं तुम्हें राखी बांधे निशा अपनी शक्ल आईने में देखी है भाग यहां से और दोबारा यहां मत आना नहीं तो बहुत  पीटूंगा और रमेश वहां से चला जाता है। उसके बाद रमेश निशा से कभी नहीं मिलता करीब 8 साल बाद रमेश निशा के घर के बाहर से गुजर रहा होता है देखता है कि निशा वापस आ गई है। 


और पूछता है तुम कहां थी मैं हर राखी पर तुमसे मिलने आता था निशा बोलती है कौन हो तुम तुम भूल गई आज से 8 साल पहले तुमने मुझे राखी बांधी वह उसे पहचानने से मना कर देती है और बोलती है। मैं तुम जैसे को अपना भाई बनाऊंगी जाओ यहां से रमेश बोलता है नहीं तुम मुझे अपना भाई कहती थी


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और मैं तुम्हें रही बेचता था और तुमने मुझे ही राखी बांधी थी। पर निशा इंकार कर देती है नहीं ऐसा कुछ नहीं हुआ है नहीं मैं कुछ नहीं जानती अब तुम यहां से चले जाओ सिक्योरिटी गार्ड को वह बोलती है कि इसको यहां से बाहर निकालो पता नहीं कहां से आ जाते हैं रमेश उदास मन से वहां से चला जाता है


कई दिन बीत जाते हैं। 1 दिन रोड पर एक कार का एक्सीडेंट हो जाता है रमेश वहां देखने जाता है वह देखता है कि वहां निशा की गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया है उसे देखता है कि उसका बहुत खून निकल गया तो उसे तुरंत हॉस्पिटल पहुंचाता है और डॉक्टर से कहता है डॉक्टर साहब मेरी बहन को बचा लो इसका बहुत खून बह रहा है डॉक्टर बोलते हैं मैं देखता हूं तभी डॉक्टर बाहर आते हैं रमेश पूछता है।


कि वह ठीक तो है ना पर डॉक्टर बोलते हैं उसकी आंखें चली गई हैं रमेश बहुत उदास होता है और रोने लगता है और वह बोलता है क्या होगा मेरी बहन का डॉक्टर बोलते हैं फिकर मत करो अगर किसी की आंखें मिल जाए तो हम उसका ऑपरेशन कर उसकी आंखें वापस लगा सकते हैं रमेश बोलता है



अमीर और गरीब की राखी | Moral Story for Kids in Hindi | Hindi Story

कि मेरी आंखें मेरी बहन को लगा दो डॉक्टर बोलते हैं पर तुम बिना आँखों के देख नहीं पाओगे मुझे इसका कोई दुख नहीं है आप मेरी आंखें निशा को दे दो मैं उसकी नजरों से दुनिया को देख लूंगा फिर रमेश बोलता है जब मेरी बहन की आंखें लग जाए तब यह पत्र उसे दे देना पर उसे मेरे बारे में मत बताना


ना ही मेरा पता डॉक्टर ठीक है। रमेश जैसा तुमको सही लगे और डॉक्टर रमेश को ऑपरेशन थिएटर में ले जाता है। तब वह निशा के पापा को एक्सीडेंट के बारे में बताता है निशा के पापा बोलते हैं कहां पर कैसे हुआ वह सारी बातें बताता है तभी रमेश के पापा हॉस्पिटल पहुंचते हैं। 


रमेश अपनी आंखें निशा को लगवा कर हॉस्पिटल से जाने लगता है तभी निशा के पिताजी आते हैं और डॉक्टर से पूछते हैं कि मेरी बेटी कैसी है डॉक्टर बोलते हैं आपकी बेटी बिल्कुल ठीक है किसी ने अपनी आंखें देकर निशा की आंखें लौटा दी हैं वह उसके बारे में पूछते हैं पर डॉक्टर मना कर देते हैं


कि हम नहीं बता सकते उसने मना किया है। जब निशा की आंखें ठीक हो जाती है तो डॉक्टर उसे कहते हैं कि तुम्हारी आंखें किसी और की देन है और उसने तुम्हें यह पत्र देने के लिए कहा है तब निशा उस पत्र पढ़ती है उसमें लिखा होता है निशा तुमने शायद भाई बहन के रिश्ते को एक मजाक समझा और 8 साल


तक मेने हर दिन तुम्हारा इंतजार किया मैं तुम्हारे घर भी गया था। पर तुम्हारे पापा को यह मंजूर नहीं था सही भी है ना एक अमीर घर की लड़की एक गरीब घर के लड़के को अपना भाई कैसे बना सकती है पर मैंने दिल से तुम्हें अपनी बहन माना था। जब तुमने मुझे पहली राखी बांधी थी तब मेरे पास तुम्हें देने के


लिए कुछ नहीं था। आज उसी राखी का फर्ज निभा रहा हूं यह राखी का तोहफा समझ कर स्वीकार करना को और इन आँखों में आंसू मत आने देना हमेशा होठों पर मुस्कान बनाए रखना कभी किसी का दिल मत तोड़ना तुम्हारा भाई रमेश। यह सुनकर निशा और उसके पापा की आंखों में आंसू आ जाते हैं


और वह अपने किए पर बहुत पछताते हैं निशा रमेश को ढूंढने की बहुत कोशिश करती हैं पर अब रमेश निशा को कभी नहीं मिलता ऐसा लगता है कि जैसे कि वह अपने भाई का फर्ज निभा गया निशा अपने पिता से बोलती है भगवान ने मुझे भाई और मां के प्यार से जुदा रखा और अब मुझे भाई मिला भी


तो मैंने खुद उसे ठुकरा दिया मैं कितनी अभागी हूं, पिता ने बोला इन सब का जिम्मेदार मैं हूं बेटी मैं ने ही तुम्हें मेरा मरा मुंह देखोगी यह कहकर कसम दी थी कि तुम अपने उस गरीब भाई को भूल जाओ और तुम्हें विदेश भेज दिया था। पर आज मैं बहुत पछता रहा हूं कि मैंने तुम दोनों के सच्चे भाई बहन के रिश्ते को तोड़ दिया। मेरे जैसा पिता भगवान किसी को ना दे निशा बोलती है, आप उदास ना हो आपने मेरी अच्छाई के लिए ही सोचा पर काश वह मुझे जल्दी ही मिल जाए। 


Lessons learned from this story (Moral)


राखी के रिश्ते को पैसे से नहीं तोला जाता और वह कभी अमीरी और गरीबी नहीं देखता यह एक अनमोल त्यौहार है जो भाई बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाता है।



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